आखिरी ग़ज़ल

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Desh Ratna

Monday, November 15, 2010

देश रत्न कि संग्रहिका... कुछ चुनिन्दा शेर.. हौसला (Perseverance)

हौसला (Perseverance)


अगर ऐ नाखुदा तूफान से लड़ने का दमखम है,
इधर कश्ती को मत लाना, इधर पानी बहुत कम है।

1. नाखुदा - मल्लाह, केवट, नाविक, कर्णधार
2. दमखम - शक्ति, हिम्मत, उत्साह, उमंग, हौसला

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अगर शोलाजन आशियाँ है तो क्या है,
बना लूँगा ऐसे, हजार आशियाँ मैं।
-निहाल सेहरारवी

1. शोलाजन - जलता हुआ, जिससे शोले निकल रहे हो
2. आशियाँ - घोसला, नीड़

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'अदम' इन्सान जब गहरी नजर डाले हवादिस पर,
तो इनमें बेहतरी के भी बहुत असबाब होते हैं।
-अब्दुल हमीद 'अदम'

1. हवादिस - दुर्घटनाओं 2. असबाब - सामान

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अपना जमाना आप बनाते हैं अहले-दिल,
हम वो नहीं है जिसको जमाना बना गया।
-'जिगर' मुरादाबाद

1. अहले-दिल - दिलवाले, साहसी, हिम्मती



अभी तो बहुत दूर है तुमको जाना,
है पुरपेच राहों से होकर गुजरना।
संभलकर है गिरना, है गिरकर संभलना,
कहाँ तक चलोगे किसी के सहारे।
-अफसर मेरठी

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अभी मरना बहुत दुश्वार है गम की कशाकश से,
अदा हो जायेगा यह फर्ज भी फुर्सत अगर होगी।
-नजर लखनवी

1. कशाकश - (i) खींचतान, खीचा-खींची, संघर्ष (ii) चढ़ा-ऊîपरी, स्पर्धा (iii) असमंजस

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अहले-हिम्मत ने हुसूले-मुद्दआ में जान दी,
और हम बैठे हुए रोया किये तकदीर को।
-असर लखनवी

1.अहले-हिम्मत - साहसी, हिम्मती 2. हुसूले-मुद्दआ - उद्देश्य की प्राप्ति

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आशियाँ फूंका है बिजली ने जहाँ सौ मर्तबा,
फिर उन्हीं शाखों पै, तरहे-आशियाँ रखता हूँ मैं।
-निहाल सेहरारवी

1. तरहे-आशियाँ - घोसले की नींव या बुनियाद



आहन नहीं कि चाहे जिधर मोड़ दीजिए,
शीशा हूँ मुड़ तो सकता नही, तोड़ दीजिए।
पत्थर तो रोज आते ही रहते हैं सहन में
हल इसका यह नहीं है कि घर छोड़ दीजिए।

1. आहन - लोहा, लौह 2. सहन - आंगन, अँगनाई

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इन्सान मुसीबत में हिम्मत न अगर हारे,
आसाँ से वह आसां है, मुश्किल से जो मुश्किल है।
-'सफी' लखनवी

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इब्तिदा में हर मुसीबत पर लरज जाता था दिल,
अब कोई गम इम्तिहाने-इश्क के काबिल नहीं।

1. इब्तिदा - शुरू, आरम्भ

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इरादे-कोहशिकन फौलाद जैसे दस्तोबाजू है,
मैं लंगर उठाने वाला हूँ तूफां को बता देना।

1.इरादे-कोहशिकन - पर्वत को तोड़ने वाला


इसी दुनिया की अक्सर तल्खियों में मुझको समझाया,
कि हिम्मत हो तो फिर है जहर भी इक चीज खाने की।
-'नैयर' अकबराबादी

1. तल्खियां- कटुता, कड़वाहट, अरूचिकर बातें

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इसी पै नाज घड़ी-दो-घड़ी जली होगी,
इसी पै शम्अ हमारी बराबरी होगी।
-'सफी' लखनवी

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उन्हीं को हम जहाँ में रहरवे-कामिल समझते हैं,
जो हस्ती को सफर और कब्र को मंजिल समझते हैं।
-बर्क

1. रहरव - पथिक, बटोही, मुसाफिर 2. कामिल - (i) निपुण, दक्ष, होशियार, चमत्कारी (ii) समूचा, सम्पूर्ण (iii) बिल्कुल, मुकम्मल, सर्वांगपूर्ण

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उन्हें सआदते-मंजिलरसी नसीब क्या होगी,
वह पाँव जो राहे-तलब में डगमगा न सके।
-जिगर मुरादाबादी

1. सआदत - प्रताप, तेज, इकबाल 2. मंजिलरसी - मंजिल
की प्राप्ति, मंजिल तक पहुंच 3. राहे-तलब - रास्ते की खोज


एक पत्थर की तकदीर भी संवर सकती है,
शर्त यह है कि उसे सलीके से संवारा जाए।

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एक मौज मचल जाए तो तूफां बन जाये,
एक फूल अगर चाहे तो गुलिस्तां बन जाये।
एक खून के कतरे में है तासीर इतनी
एक कौम की तारीख का उन्वान बन जाये।
-अब्दुल हमीद 'अदम'

1. तासीर - असर, प्रभाव 2. तारीख - इतिहास 3. उन्वान - विषय

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ऐ ताइरे-लाहूती, उस रिज्क से मौत अच्छी,
जिस रिज्क से आती हो,परवाज में कोताही।
-मोहम्मद इकबाल

1. ताइरे-लाहूती – आकाश में उड़ने वाला पंक्षी या
परिंदा 2. रिज्क - जीविका, रोजी, अन्न 3. परवाज - उड़ान
4. कोताही - (i) कमी ii) त्रुटि, खामी (iii) भूल

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ऐ देखने वाले साहिल से, मौजों से लिपट, तूफां से उलझ,
नज्जारा-ए-तूफां करने से, अन्दाजए-तूफां क्या होगा।

1. साहिल - किनारा, तट


कनाअत न कर आलमे-रंगो-बू पर,
चमन और भी, आशियां और भी है।
तू शाही है परवाज है काम तेरा,
तेरे सामने आसमां और भी है।
-मोहम्मद इकबाल

1. कनाअत - संतोष 2. आलम - जगत्, संसार, दुनिया 3. रंगो-बू - फूलों का रंग और उनका सुगंध (या दुनिया की रंगीनियाँ) 4. शाही - बाज पक्षी, श्येन 5.परवाज - उड़ान

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कनारों से मुझे ऐ नाखुदा तुम दूर ही रखना,
तहाँ लेकर चलो तूफां जहाँ से उठने वाला है।

1. नाखुदा - मल्लाह, नाविक, कर्णधार

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कफस में खींच ले जाए मुकद्दर या निशेमन में,
हमें परवाजे-मतलब है, हवा कोई भी चलती हो।
-सीमाब अकबराबादी

1. कफस - पिंजड़ा, कारागार 2. निशेमन - घोंसला, नीड़
3. परवाजे - उड़ान

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कभी मौत कहती है अलहजर, कभी दर्द कहता है रहम कर,
मैं वह राह चलता हूँ पुरखतर कि जहाँ फना का गुजर नहीं।
-असर लखनवी

1.अलहजर - बस करो, बचाओ 2. रहम - दया, कृपा, मेहरबानी, इनायत 3.पुरखतर - भीषण, भयानक, अत्यन्त खतनराक
4. फना - (i) मृत्यु, मौत (ii) विनाश, बर्बादी

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कमाले - बुजदिली है पस्त होना अपनी नजरों में,
अगर थोड़ी-सी हिम्मत हो तो फिर क्या हो नहीं सकता।
-चकबस्त लखनवी

1. कमाले–बुजदिली - अव्वल दर्जे की नासमझी या डरपोकपन, नादानी की चरमसीमा 2. पस्त - नीचा, हीन, छोटा

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कश्ती को भंवर में घिरने दो, मौजों के थपेड़े सहने दे,
जिन्दों में अगर जीना है तुम्हें, तूफान की हलचल रहने दे।
-सागर

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कहा था सबने डूबेगी यह कश्ती,
मगर हम जानकर बैठे उसी में।
-खलीक बीकानेरी

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कहो नाखुदा से उठा दे वह लंगर,
मैं तूफां की जिद देखना चाहता हूँ।

1. नाखुदा - मल्लाह, नाविक, कर्णधार


कारवां चलते हैं मंजिल का सहारा लेकर,
और मंजिल की कशिश रहनुमा होती है।

1. रहनुमा - मार्गदर्शक, पथप्रदर्शक, रास्ता दिखाने वाला

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किश्ती को तूफान से बचाना तो सहज है,
तूफान के वकार का दिल टूट जायेगा।
-नरेश कुमार 'शाद'

1. वकार - प्रतिष्ठा, इज्जत

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किस लिये शिकवा करें हम कातिबे-तकदीर का,
दिन बदल सकते है जब इन्सान के तदबीर से।

1. कातिबे-तकदीर - तकदीर लिखने वाला
2. तदबीर - (i) मेहनत, परिश्रम, प्रयत्न, कोशिश (ii) उपचार, इलाज

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कुछ और बढ़ाओ अब लो मशाल हिम्मत की,
मंजिल के करीब आकर बढ़ती है थकन यारों।



कुछ लोग हैं कि वक्त के साँचे में ढल गये,
कुछ लोग हैं कि वक्त के साँचे बदल गये।

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कुछ समझकर ही हुआ हूँ मौजे-दरिया का हरीफ,
वरना मैं भी जानता हूँ आफियत साहिल में है।
-वहशत कलकतवी

1.हरीफ – प्रतिद्वंद्वी, जिससे मुकाबला हो
2. आफियत - सुकून, सुख, चैन, आराम 3. साहिल - किनारा

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क्यों किसी रहबर से पुछूं अपनी मंजिल का पता,
मौजे-दरिया खुद लगा लेती है साहिल का पता।
-'आर्जू' लखनवी

1. रहबर - पथप्रदर्शक, रास्ता दिखाने वाला 2. साहिल - तट, किनारा

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खताओं पर खताएं हो रही थी नावकअफगन से,
इधर तीरों से बनता जा रहा था आशियाँ अपना।

1. खताओं - गलतियाँ 2. नावकअफगन - तीर चलाने वाला, तीरंदाज



खा-खा के शिकस्त फतह पाना सीखो
गिरदाब में कहकहा लगाना सीखो,
इसे दौरे –तलातुम में अगर जीना है
खुद अपने को तूफान बनाना सीखो।
-नजीर बनारसी

1. शिकस्त - पराजय, पराभव, हार 2. फतह - विजय, जीत, कामयाबी, सफलता 3. गिरदाब - भंवर, जलावर्त 4. दौरे–तलातुम - तूफानी दौर, पानी का मौजें मारना,बाढ़, तुग्यानी

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खाते रहे फरेब, संभलते रहे कदम,
चलते रहे जुनूं का सहारा लिये हुए।
-'शारक' मेरठी

1. जुनूं - उन्माद, पागलपन

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खिरदमंदों से क्या पुछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फिक्र में रहता हूँ मेरी इन्तिहा क्या है,
खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है?
-मोहम्मद इकबाल

1.खिरदमंदों - बुद्धिमानों, अक्लमंदों 2. इब्तिदा - प्रारम्भ, आरम्भ, शुरूआत
3. इन्तिहा - अंत, आखिरी हद या छोर 4. रजा - इच्छा, तमन्ना, ख्वाहिश

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खुद यकीं होता नहीं जिनको अपनी मंजिल का,
उनको राह के पत्थर कभी रास्ता नहीं देते।

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