आखिरी ग़ज़ल

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Desh Ratna

Thursday, November 25, 2010

Desh Ratna's Collection - Sher - नक़ाब

तेरे और उसके दरमियाँ, तेरी खुदी हिजाब है,
अपना निशान खोयेजा, उसका निशान पायेजा।
-अख्तर शीरानी

1.खुदी - अहंकार, घमंड, अहंभाव, यह भाव कि बस हमीं हम हैं,अभिमान 2.हिजाब - पर्दा

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नहीं है राज कोई राज दीदावर के लिये,
नकाब पर्दा नहीं शौक की नजर के लिये।
-आर्श मल्सियानी

1.दीदावर - जोहरी, पारखी, किसी चींज के गुण-दोष को
अच्छी तरह समझने वाला

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हिजाबे-जलवा की अहले-नजर परवा नहीं करते,
वह तो पर्दों में भी उनका रू-ए-जेबा देख लेते हैं।
-जोश मल्सियानी

1.हिजाबे-जलवा - बनाव-सिंगार पर घूँघट डालना
2. अहले-नजर - नजर वाले 3.रू-ए-जेबा - सुन्दर मुखड़ा या चेहरा

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जलवे की रोकथाम करेगा हिजाब क्या,
दरिया के आगे आबे-रवाँ की बिसात क्या?
-हसन बरेलवी

1.हिजाब - (i) आड़, पर्दा, ओट (ii) मुखावरण, बुर्का, पर्दा
2.आबे-रवाँ - तेजी से बहता पानी 3.बिसात - साहस, हिम्मत, सामर्थ्य

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नकाबे-रूख उलटने तक तो मुझको होश था लेकिन,
भरी महफिल मं उसके बाद क्या गुजरी खुदा जाने।
-सईद अहमद खां

1. नकाबे-रूख - मुखावरण ,मुखपट, पर्दा

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मुझको यह आरजू है वह उठाएं नकाब खुद,
उनकी यह इल्तिजा तकाजा करे कोई।
-मजाज

1.नकाब - घूँघट, मुखावरण, मुखपट 2.इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त
3.तकाजा - माँग, फर्माइश

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वह बेनकाब कहीं बेनकाब होता है,
कि आफताब खुद अपना हिजाब होता है।
-'नातिक' लखनवी

1.आफताब - सूरज, सूर्य 2.हिजाब - (i) आड़, पर्दा, ओट (ii) लाज, शर्म

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हया बेहोश होकर गिर रही है,
किसी की बेहिजाबी तौबा-तौबा।
-अब्दुल हमीद 'अदम'

1.हया - लज्जा, शर्म, व्रीड़ा 2.बेहिजाबी - घूँघट उठाना
3. तौबा-तौबा - किसी बुरे काम से बाज रहने की दृढ़ प्रतिज्ञा

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है देखने वालों को संभलने का इशारा,
थोड़ी-सी नकाब वह सरकाये हुए हैं।
-अर्श मल्सियानी

1. नकाब - घूँघट, मुखावरण, पर्दा, बुर्का

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यह शर्मगीं निगाह,यह तबस्सुम निकाब में,
क्या बेहिजबियाँ है, तुम्हारे हिजाब में।
-जकी

1.शर्मगीं - शर्म से झुकी हुई
2.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कराहट, स्मित, मंदहास
3.निकाब - (i) घूँघट, मुखावरण, मुखापट (ii) ओट, आड़
4.बेहिजबियाँ - घूँघट हटा देना 5. हिजाब - आड़, पर्दा, ओट

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नकाब कहती है मैं पर्दा-ए-कयामत हूँ,
अगर यकीं न हो तो देख लो उठा के मुझे।
-'जलील' मानिकपुरी

1.नकाब - मुखवरण, मुखपट, पर्दा, बुर्का

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नकाब उनके चेहरे का सरका है शायद,
बड़ी दूर तक बर्क लहरा नहीं है।
-अब्दुल हमीद 'अदम'

1.बर्क - बिजली, सौदामिनी, , तड़ित, चंचला

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फैला है हुस्ने-आरिजे-रौशन नकाब में,
क्या-क्या तड़प रही है तजल्ली हिजाब में।
-साकिब लखनवी

1.हुस्ने-आरिजे-रौशन - उज्जवल गाल का सौन्दर्य 2. नकाब - घूँघट, मुखावरण, मुखपट, बुर्का 3.तजल्ली - प्रकाश, आभा, नूर

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बताइए रहेगी शम्अ किस तरह हिजाब में,
यह क्या समझ के हुस्न को छुपाया है निकाब में।
-'साकिब' लखनवी

1.हिजाब - (i)आड़, पर्दा, ओट (ii) लज्जा , लाज, शर्म
2. निकाब - मुखावरण, मुखपट, बुर्का, घूँघट, ओट, आड़

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उठा सके आदमी तो पहले नजर से अपनी नकाब उठाए,
जमाने भर की तजल्लियों से नकाब उल्टी हुई मिलेगी।
-नवाब झांसवी

1.नकाब - पर्दा, घूँघट, ओट, आड़ 2.तजल्लियों - (i) आभा, प्रकाश, नूर, रौशनी (ii) प्रताप, जलाल (iii) अध्यात्मज्योति, नूरे-हक

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एक से लगते हैं सब ही कौन अपना, कौन गैर,
बेनकाब आये कोई तो, हम दरे -दिल वा करें।
-खलील

1.दरे–दिल - दिल का दरवाजा 2. वा - खोलना

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