जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नही देखा
मैने कोई गुजरा हुआ मंज़र नही देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहनेवाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नही देखा
बेवक़्त अगर जाओंगा सब चोक पड़ेंगे
एक उम्र हुई दिन में कभी घर नही देखा
यह फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नही देखा
bahut khub!!
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